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भीगी ग़ज़लएहसास की रवानी है ग़ज़ल, मेरी अपनी कहानी है ग़ज़ल...
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भीगी ग़ज़ल | bheegigazal.blogspot.com Reviews
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एहसास की रवानी है ग़ज़ल, मेरी अपनी कहानी है ग़ज़ल...
भीगी ग़ज़ल: चुन लिया सुबह के सूरज का उजाला मैंने
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भीगी ग़ज़ल. एहसास की रवानी है ग़ज़ल, मेरी अपनी कहानी है ग़ज़ल. मुक्ताकाश. देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद का एक बहुत पुराना पत्र. गिरीश पंकज. सुंदर है, दुलारी हैं, मधुबन हैं बेटियाँ. सफ़र - A Journey. स्वप्न मेरे. वेश वाणी भेद तज कर हो तिरंगा सर्वदा . कुछ लम्हे दिल के . तुम्हें पता है? Ismat Zaidi "Shefa kajgaonvi. सुबीर संवाद सेवा. प्रतिष्ठित 'राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान' पंकज सुबीर को. वीर बहुटी. अना पर बात आती है अगर हो जंग बुज़दिल से।. अंकित सफ़र की कलम से. तीन रोज़ इश्क़. जज़्बात جذبات Jazbaat. बिल...
भीगी ग़ज़ल: मेरी गजलों में महक होगी, तरावत होगी
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भीगी ग़ज़ल. एहसास की रवानी है ग़ज़ल, मेरी अपनी कहानी है ग़ज़ल. मुक्ताकाश. देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद का एक बहुत पुराना पत्र. गिरीश पंकज. सुंदर है, दुलारी हैं, मधुबन हैं बेटियाँ. सफ़र - A Journey. स्वप्न मेरे. वेश वाणी भेद तज कर हो तिरंगा सर्वदा . कुछ लम्हे दिल के . तुम्हें पता है? Ismat Zaidi "Shefa kajgaonvi. सुबीर संवाद सेवा. प्रतिष्ठित 'राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान' पंकज सुबीर को. वीर बहुटी. अना पर बात आती है अगर हो जंग बुज़दिल से।. अंकित सफ़र की कलम से. तीन रोज़ इश्क़. जज़्बात جذبات Jazbaat. बिल...
भीगी ग़ज़ल: क्या कभी सोचे गए हम
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भीगी ग़ज़ल. एहसास की रवानी है ग़ज़ल, मेरी अपनी कहानी है ग़ज़ल. मुक्ताकाश. देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद का एक बहुत पुराना पत्र. गिरीश पंकज. सुंदर है, दुलारी हैं, मधुबन हैं बेटियाँ. सफ़र - A Journey. स्वप्न मेरे. वेश वाणी भेद तज कर हो तिरंगा सर्वदा . कुछ लम्हे दिल के . तुम्हें पता है? Ismat Zaidi "Shefa kajgaonvi. सुबीर संवाद सेवा. प्रतिष्ठित 'राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान' पंकज सुबीर को. वीर बहुटी. अना पर बात आती है अगर हो जंग बुज़दिल से।. अंकित सफ़र की कलम से. तीन रोज़ इश्क़. जज़्बात جذبات Jazbaat. बिल...
भीगी ग़ज़ल: तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखना
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भीगी ग़ज़ल. एहसास की रवानी है ग़ज़ल, मेरी अपनी कहानी है ग़ज़ल. मुक्ताकाश. देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद का एक बहुत पुराना पत्र. गिरीश पंकज. सुंदर है, दुलारी हैं, मधुबन हैं बेटियाँ. सफ़र - A Journey. स्वप्न मेरे. वेश वाणी भेद तज कर हो तिरंगा सर्वदा . कुछ लम्हे दिल के . तुम्हें पता है? Ismat Zaidi "Shefa kajgaonvi. सुबीर संवाद सेवा. प्रतिष्ठित 'राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान' पंकज सुबीर को. वीर बहुटी. अना पर बात आती है अगर हो जंग बुज़दिल से।. अंकित सफ़र की कलम से. तीन रोज़ इश्क़. जज़्बात جذبات Jazbaat. बिल...
भीगी ग़ज़ल: जाने वाले कब लौटे हैं क्यूँ करते हैं वादे लोग
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भीगी ग़ज़ल. एहसास की रवानी है ग़ज़ल, मेरी अपनी कहानी है ग़ज़ल. मुक्ताकाश. देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद का एक बहुत पुराना पत्र. गिरीश पंकज. सुंदर है, दुलारी हैं, मधुबन हैं बेटियाँ. सफ़र - A Journey. स्वप्न मेरे. वेश वाणी भेद तज कर हो तिरंगा सर्वदा . कुछ लम्हे दिल के . तुम्हें पता है? Ismat Zaidi "Shefa kajgaonvi. सुबीर संवाद सेवा. प्रतिष्ठित 'राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान' पंकज सुबीर को. वीर बहुटी. अना पर बात आती है अगर हो जंग बुज़दिल से।. अंकित सफ़र की कलम से. तीन रोज़ इश्क़. जज़्बात جذبات Jazbaat. बिल...
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'विनोदी' बाबु -the laughing man: आज याद हम दादी को करते हैं..
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विनोदी' बाबु -the laughing man. Sunday, July 11, 2010. आज याद हम दादी को करते हैं. आज याद उनको हम करते. जिनके बगैर हम कभी रह भी नहीं पाते थे. पीछे पीछे जिनके दिन रात हम चला करते थे. कभी गोद में पाँव चलाना. तो कभी पल्लू पकड़ कर जिनका. हमने चलना सीखा. वो दादी जब नहीं रही. तो आज हम उनको याद करते हैं. वो पल जब हम गर्म दोपहरों में सो कर. उठा करते थे ,आँखों को मलते हुए. दादी को खोजा करते थे और. वो देकर बतासे हमको पानी. पीने को कहती थीं. आज फिर हम उनको याद करते हैं,. जब हम बिन कुछ खाए ही. अब तो बचा ...Subscribe...
दास्तां - ए - नादाँ : April 2015
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दास्तां - ए - नादाँ. शिव के मस्तक शव की धूली ये धरा श्मशान है / खेलो रे खेलो रंगों की होरी ये धरा श्मशान है ! मुखपृष्ठ. चंद ढलते ख़याल. शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015. निःशब्दों की व्याकुलता. शब्दों की स्तब्धता. निःशब्दों की व्याकुलता. जीवन की यह आकुलता. चीत्कार या कि व्यवहारिकता ll. उत्पल कांत मिश्र "नादाँ". उत्पल कान्त मिश्रा "नादां". 2 टिप्पणियां:. सामाजिक चित्रण. बुधवार, 22 अप्रैल 2015. क्या माँगूँ मैं हाथ पसारी? उद्बुद्ध करते तिमिर प्रकाश में. यह उद्वेलन शीतल जो कर दे. Labels: कविता. नई पोस्ट.
जनपद: October 2011
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मौसम तो इंसान के अन्दर रहता है. Sunday, October 23, 2011. भोंदू जी की सर्दियां. वीरेन डंगवाल. और स्याही ताल. बहुतों के लिए धरोहर सरीखी हैं। पढि.ए इस मौसम की यह कविता. आ गई हरी सब्जियों की बहार. पराठे मूली के, मिर्च, नींबू का अचार. मुलायम आवाज में गाने लगे मुंह-अंधेरे. कउए सुबह का राग शीतल कठोर. धूल और ओस से लथपथ बेर के बूढ़े पेड़ में. पक रहे चुपके से विचित्र सुगंधवाले फल. फेरे लगाने लगी गिलहरी चोर. बहुत दिनों बाद कटा कोहरा खिला घाम. नया सूट पहन बाबू साहब ने. भोंदू की तरह।. Saturday, October 22, 2011. म...
आज की ग़ज़ल: 08/29/13
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Thursday, August 29, 2013. सुरेन्द्र चतुर्वेदी जी की एक ग़ज़ल. तमाम उम्र मेरी ज़िंदगी से कुछ न हुआ. हुआ अगर भी तो मेरी ख़ुशी से कुछ न हुआ. कई थे लोग किनारों से देखने वाले. मगर मैं डूब गया था, किसी से कुछ न हुआ. हमें ये फ़िक्र के मिट्टी के हैं मकां अपने. उन्हें ये रंज कि बहती नदी से कुछ न हुआ. रहे वो क़ैद किसी ग़ैर के ख़यालों में. यही वजह कि मेरी बेरुख़ी से कुछ न हुआ. लगी जो आग तो सोचा उदास जंगल ने. हवा के साथ रही दोस्ती से कुछ न हुआ. सतपाल ख़याल. Subscribe to: Posts (Atom). अब तक का सफ़र. पुरुष...पूर...
आज की ग़ज़ल: 09/19/13
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Thursday, September 19, 2013. फ़ानी जोधपुरी. रात की बस्ती बसी है घर चलो. तीरगी ही तीरगी है घर चलो. क्या भरोसा कोई पत्थर आ लगे. जिस्म पे शीशागरी है घर चलो. हू-ब-हू बेवा की उजड़ी मांग सी. ये गली सूनी पड़ी है घर चलो. तू ने जो बस्ती में भेजी थी सदा. लाश उसकी ये पड़ी है घर चलो. क्या करोगे सामना हालत का. जान तो अटकी हुई है घर चलो. कल की छोड़ो कल यहाँ पे अम्न था. अब फ़िज़ा बिगड़ी हुई है घर चलो. तुम ख़ुदा तो हो नहीं इन्सान हो. घर की बत्ती जल रही है घर चलो. सतपाल ख़याल. Subscribe to: Posts (Atom). पुरु...
आज की ग़ज़ल: 04/23/14
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Wednesday, April 23, 2014. दानिश भारती. पाँव जब भी इधर-उधर रखना. अपने दिल में ख़ुदा का डर रखना. रास्तों पर कड़ी नज़र रखना. हर क़दम इक नया सफ़र रखना. वक़्त, जाने कब इम्तेहां माँगे. अपने हाथों में कुछ हुनर रखना. मंज़िलों की अगर तमन्ना है. मुश्किलों को भी हमसफ़र रखना. खौफ़, रहज़न का तो बजा, लेकिन. रहनुमा पर भी कुछ नज़र रखना. सख्त लम्हों में काम आएँगे. आँसुओं को सँभाल कर रखना. चुप रहा मैं, तो लफ़्ज़ बोलेंगे. बंदिशें मुझ पे, सोच कर रखना. अपना किरदार मोतबर रखना. सतपाल ख़याल. Subscribe to: Posts (Atom). अब तक का सफ़र.
आज की ग़ज़ल: 06/26/14
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Thursday, June 26, 2014. मयंक अवस्थी. बम फूटने लगें कि समन्दर उछल पड़े. कब ज़िन्दगी पे कौन बवंडर उछल पड़े. दुश्मन मिरी शिकस्त पे मुँह खोल कर हँसा. और दोस्त अपने जिस्म के अन्दर उछल पड़े. गहराइयाँ सिमट के बिखरने लगीं तमाम. इक चाँद क्या दिखा कि समन्दर उछल पड़े. मत छेड़िये हमारे चरागे –खुलूस को. शायद कोई शरार ही , मुँह पर उछल पड़े. घोड़ों की बेलगाम छलाँगों को देख कर. बछड़े किसी नकेल के दम पर उछल पड़े. गहरी नहीं थी और मचलती थी बेसबब. ऐसी नदी मिली तो शिनावर उछल पड़े. सतपाल ख़याल. Subscribe to: Posts (Atom). पवने...
आज की ग़ज़ल: 05/23/14
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Friday, May 23, 2014. सिराज फ़ैसल खान. ज़मीं पर बस लहू बिखरा हमारा. अभी बिखरा नहीं जज़्बा हमारा. हमें रंजिश नहीं दरिया से कोई. सलामत गर रहे सहरा हमारा. मिलाकर हाथ सूरज की किरन से. मुखालिफ़ हो गया साया हमारा. रकीब अब वो हमारे हैं जिन्होंने. नमक ताज़िन्दगी खाया हमारा. है जब तक साथ बंजारामिज़ाजी. कहाँ मंज़िल कहाँ रस्ता हमारा. तअल्लुक तर्क कर के हो गया है. ये रिश्ता और भी गहरा हमारा. बहुत कोशिश की लेकिन जुड़ न पाया. तुम्हारे नाम में आधा हमारा. इधर सब हमको कातिल कह रहे हैं. सतपाल ख़याल. Subscribe to: Posts (Atom).
मेरा कमरा: January 2009
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मेरा कमरा. Sunday, January 18, 2009. हारे हुए शब्दों का मोल. सुनो, तुम मेरे शब्दों का मोल क्या दोगे? कहाँ हैं तुम्हारी जेब में आकाश गंगा और हजारों सितारे? बिस्तर की कितनी ही सिलवटों में. धरती,आकाश. और अन्जले चिरागों को समेटा है मैंने. तुम्हारे अस्वीकार के बाद. उन हारे हुए शब्दों का क्या मोल? डूबते हुए अंधेरे के अदृश्य कम्पन में. चाँद मेरी आंखों में कई बार डूबा है,. तुम्हारे बदलते रंगों से ,. तुम्हारी त्वचा के उजास से. अपने अंगों से,. अपनी देह से,. अपने मन से,. अपने ही भार से,. डर लगता है. Consequently I ...
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بهيج
سامح الجميع . لأنه من المخجل ، أن نقف أمام الله نرجو العفو ونحن لا نعفو! من أجمل ما قرأت "اللهم من اراد بي سوء فارزقه سعادة تغنيه عن الضرر بالناس" احمد اشرف. هل تعلمون ان هناك من هو #عاق ليس لربه او لوالديه او اقاربه او من لديهم فضلا عليه , بل هو عاق لجسده! كم نشاهد هذه المناظر الجميلة وهذا الكون البديع ونتعجب من روعتها وعظم صنعها . ثم تعلم أن الله اصطفاك من بين كل ما في الكون لتتحمل الامانة. مزيدا من التألق و التقدم. موقع جيد جدا واصلوا. الله يوفقكم ما شاء الله. تصميم الموقع جميل استاذ بهيج.
| بحر من المشاعر المختلطه بكل الالوان ~
بحر من المشاعر المختلطه بكل الالوان. Https:/ dl.dropboxusercontent.com/u/6782163/tahdyat.mp3. Https:/ dl.dropboxusercontent.com/u/6782163/mp3bheeg/askfm.mp3. Http:/ dl.dropbox.com/u/6782163/%D9%81%D9%8A%20%D8%AE%D8%A7%D8%B7%D8%B1%D9%8A%20-%20%D8%A7%D9%84%D8%AA%D8%AF%D8%AE%D9%8A%D9%86.mp3. المدونه ستحمل خواطر وفضفضات صوتيه بصوتي , عن كل شيء يلفت انتباهي ,. Http:/ www.inshad.com/Contributions/Gifts 2011/Insaneyyati - V.mp3. المدونة لدى وردبرس.كوم. المدونة لدى وردبرس.كوم. انضم 245 متابعون آخرين.
Baukii ,,
Vandaag hadden we onze presentatie. Ik was best wel zenuwachtig maar het ging volgens mij wel goed. We waren als 3de aan de beurt. We hebben verteld wat we die week gedaan hebben en wat over de maquette. Ik ben wel blij dat ik het gehad heb. Maar de project week was wel heel leuk. Posted by Baukje Heeg @ 08:29. Vandaag hebben we onze presentatie gemaakt. Eerst hebben we onze maguette afgemaakt en dat was nog best veel werk. Maar hij is heel mooi geworden. Met vanalles en nogwat erop. Naar het huis van Me...
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भीगी बिल्ली | यहाँ से वहाँ
धर म – कर म. हमस आय न गय त मस ब ल य न गय. July 23, 2014. एक स झ म हम र य वन नह ब त थ. रव क चढ़न स श व त प कज ख लत थ. त द व न यक भ रमत थ Continue reading →. Dial M for dummies. August 8, 2011. My third Column in Pitch. Marketers spend Crores of Rupees to outdo their competitor in the communication war, but they often forget the end-user. Read: Dial M for dummies (PDF). Where’s our ‘Victoria’s Secret’? August 8, 2011. Image Courtesy: simpsons.wikia.com. My second Column in Pitch. The eighth P – Policy.
भीगी ग़ज़ल
भीगी ग़ज़ल. एहसास की रवानी है ग़ज़ल, मेरी अपनी कहानी है ग़ज़ल. सुबीर संवाद सेवा. आइए आज होली के तरही मुशायरे को अपने अंजाम तक पहुँचाते हैं दो शायरों शेख चिल्ली और नकुल गौतम के साथ. किताबों की दुनिया - 168. स्वप्न मेरे. सफ़र जो आसान नहीं . मुक्ताकाश. गोआ के सागर-तट से. होली गीत. पाल ले इक रोग नादां. मेरे साथ ही साथ बड़ा हो गया है मेरा डर. कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली. Ismat Zaidi "Shefa kajgaonvi. वीर बहुटी. हृदय गवाक्ष. वर्तुल धारा. गुरुपूर्णिमा मंगलमय हो. जज़्बात جذبات Jazbaat. गिरीश पंकज. सच को ल...
bheehappy | it's the little things…and many others.
It's the little things…and many others. Hay Naku, Forever! June 25, 2015. June 25, 2015. Pauusapan pa ba natin ‘to, eh ‘di ba nga ‘walang forever’? 8221; kaagad ang lilipad sa hangin. Wala nga bang Forever? Pero kung isa-summarize ko ang alam ko tungkol sa Forever, ito ang mga ‘yon;. Kung sa paniniwala mo’y “Walang forever,”. Kung panay “May forever” naman ang peg mo,. You are 30% optimistic, 30% realistic and 40% confused. Kaysa naman pessimistic ‘di ba? Forever magpapakashonga sa boyfriend/girlfriend.
A WELL VILLAGE OF THESIL PHALIA | Just another WordPress.com site
A WELL VILLAGE OF THESIL PHALIA. Just another WordPress.com site. جون 11, 2010. Welcome to WordPress.com. This is your first post. Edit or delete it and start blogging! A WELL VILLAGE OF THESIL PHALIA. WordPress.com پر بلاگ. A WELL VILLAGE OF THESIL PHALIA. WordPress.com پر بلاگ.
NB Studio
Where does our history, our stories, merge with someone else’s? What are the similar triggers (but distinctly different memories) that we share? What do our landscapes, our memories, or our dreams look like when manifested together? I’m interested in the way our thoughts and memories become faded and give way to false and layered retelling of our stories over time.
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