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सुबीर संवाद सेवा: December 2012
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गुरुवार, 20 दिसंबर 2012. श्री नीरज गोस्वामी जी को सुकवि रमेश हठीला शिवना सम्मान प्रदान किये जाने के समारोह तथा मुशायरे के वीडियो ।. सबसे पहले तो ये कि उस कार्यक्रम के पूरे फोटो अब वेब अल्बम पर उपलब्ध हैं । जिनको आप यहां https:/ picasaweb.google.com/117630823772225652986/NEERAJGOSWAMIJISAMMANANDMUSHAIRA. द्वारा: पंकज सुबीर. 10 टिप्पणियां. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. शनिवार, 8 दिसंबर 2012. भोजन सप्लाई व...इस्म...ये ...
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शस्वरं: December 2012
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ब्लॉग मित्र मंडली. सुनेगी जो सच , तिलमिलाएगी दिल्ली! पेश है एक मुसलसल ग़ज़ल. चाहें तो ग़ज़लनुमा नज़्म कहलें. यहां दिल्ली महज़ दिल्ली नहीं ।. कभी यह हिंदुस्तान की राजधानी है. कभी एक महानगर ।. कभी सत्ता तो कभी सत्ताधारी राजनीतिक दल ।. कभी हिंदुस्तान की बेबस अवाम ।. 1947 के बाद का खंडित विभाजित भारत भी ।. मुगलकालीन हिंदुस्तान भी ।. महाभारतकालीन अखिल आर्यावर्त भी ।. अभी और क्या क्या दिखाएगी दिल्ली! तू गुल और क्या क्या खिलाएगी दिल्ली. न छेड़ो. सुनेगी जो सच. बहन-बेटियों! हुए हादसे. लहू पी. दिल कड़&...कभी...
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शस्वरं: August 2013
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ब्लॉग मित्र मंडली. न शान-ए-हिंद में गद्दारों की गुस्ताख़ियां होतीं. नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे. चमन के सरपरस्तों से न गर नादानियां होतीं. न फिर ये ख़ार की नस्लें हमारे दरमियां होतीं. मुख़ालिफ़ हैं ये सच-इंसाफ़ के. उलझे सियासत में. ख़ुदारा. पासबानों में न ऐसी ख़ामियां होतीं. असम छत्तीसगढ़ जम्मू न मीज़ोरम सुलगते फिर. न ही कश्मीर में ख़ूंकर्द केशर-क्यारियां होतीं. निभाती फ़र्ज़ हर शै मुल्क की गर मुस्तइद हो. धमाके भी नहीं होते. न गोलीबारियां होतीं. उनका खौल उठता ख़ूं. वतन के वास्ते. नई पोस्ट. न शान-ए-ह...
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सुबीर संवाद सेवा: October 2014
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गुरुवार, 30 अक्तूबर 2014. दीपावली से जुड़े हुए महापर्व छठ पर्व पे सूर्य को प्रात: का अर्घ्य देकर सुनते हैं दो रचनाएं। एक हजल और एक सजल ।. अँधेरी रात में जब दीप झिलमिलाते हैं. राकेश खंडेलवाल जी. गज़ल के शेर ये तब होंठ आ सजाते हैं. 8216;तिलक’ लगाये जो ‘नीरजजी’ मुस्कुराते हैं. गज़ब की सोच लिये लोकगीत की धुन पर. कई हैं झोंके जो ‘सौरभ’ से गुनगुनाते हैं. है ‘शार्दुला’ की छुअन जो नई खदानों से. तराशे खुद को कई हीरे निकले आते हैं. और ये शे'र पूरी सुबीर संवाद से...मन्सूर अली हाशमी. न खाते ख़ु...उन्हí...
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सुबीर संवाद सेवा: October 2012
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मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012. दिल्ली में महुआ घटवारिन का विमोचन और अब वापस दीपावली के तरही मुशायरे की तैयारी ।. नई दिल्ली में महुआ घटवारिन का विमोचन). तिलकराज कपूर जी ने एक प्रश्न किया था : एक प्रश्न निरंतर परेशान कर रहा है कि एक अच्छे शेर के मूल तत्व क्या होते हैं।. तुझको सारे मन से चाहा, चाहा सारे तन से. अपने पूरेपन से चाहा, और अधूरे पन से. सर उठाओ ज़रा इधर देखो, इक नज़र, आखिरी नज़र देखो. द्वारा: पंकज सुबीर. 31 टिप्पणियां. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. लगभग दो माह...है&...
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सुबीर संवाद सेवा: November 2014
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सोमवार, 3 नवंबर 2014. अँधेरी रात में जब दीप झिलमिलाते हैं. भभ्भड़ कवि ' भौंचक्के'. तुम्हारी आँख से जो अश्क टूट जाते हैं. कमाल करते हैं., वो फिर भी झिलमिलाते हैं. कहा गया था भुला देंगे दो ही दिन में, पर. सुना गया है के हम अब भी याद आते हैं. अज़ल से आज तलक कर लीं इश्क़ की बातें. चलो के अब तो बिछड़ ही., बिछड़ ही जाते हैं. उफ़क से काट के लाये हैं आसमाँ थोड़ा. बिछा के आओ कहीं ख़ूब इश्क़ियाते हैं. हुनर से पार नहीं होती आशिक़ी की नदी. न सर पे छत है, न कपड़ा, न पेट में रोटी. जो सुनने आये है...अँधेरा एक...और उस पे ...
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सुबीर संवाद सेवा: November 2013
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गुरुवार, 7 नवंबर 2013. दीपावली का त्योहार भी बीत गया और अब आगे कुछ नया करने के लिये समय खड़ा है । आज केवल लंदन के ये वीडियो आप सब के लिये ।. द्वारा: पंकज सुबीर. 9 टिप्पणियां. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. रविवार, 3 नवंबर 2013. दीपावली की बहुत बहुत मंगल कामनाएं ।. अभिनव शुक्ला. अपने हाथों से दिया एक जला कर देखो. ये है सच आज अंधेरों का बोल बाला है,. तुम दिया एक जलाकर कहो दिवाली है,. फिर से मुस्कान सि...स्वर्ण मृ...अपने ह...
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सुबीर संवाद सेवा: January 2015
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शनिवार, 31 जनवरी 2015. आइये आज जनवरी 2015 के अंतिम दिन श्री राकेश खंडेलवाल की गुदगुदाती हुर्द रचना के साथ हंसते खिलखिलाते करते हैं तरही मुशायरे का विधिवत समापन।. मोगरे के फूल पर थी चांदनी सोई हुई. श्री राकेश खंडेलवाल जी. है बिछी अब भी नज़र कुछ जागती सोई हुई. देख तो लें आपकी है क्या घड़ी खोई हुई. पाग कर नव्वे इमरती और कालेजाम सौ. फिर कढ़ाई में पसर थी चाशनी सोई हुई. थाल भर हलवा सपोड़ा, बिन डकारे एक संग. नीम के नीच लुढ़क, थी भामिनी सोई हुई. एक तो जलसा-ए-शिवना, उस पे पुसî...उस पे तरही की फ़...हर गज़ल को...
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सुबीर संवाद सेवा: October 2013
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गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013. तो मेरे विचार में यही तय रहा दीपावली पर सब अपना अपना कम से कम एक मुक्तक भेजें, ग़ज़ल या गीत भेजना चाहें तो और अच्छा है ।. हीथ्रो हवाई अड्डे पर तेजेन्द्र जी द्वारा आत्मीय स्वागत ). कैलाश बुधवार जी के घर सुश्री पद्मजा जी को प्रति भेंट ). अपनी ड्रीम ब्लैक मर्सीडीज़ का आनंद). ये मेरा चमन है मेरा चमन, मैं अपने चमन का बुलबुल हूँ. सरशार-ए-निगाह-ए-नरगिस हूँ, पा-बस्ता-ए-गेसू-संबल हूँ. किसी मॉल में ). सिर के पीछे लंदन की आंख ). खरीददारी के क्षण ). Pinterest पर साझा कर...पुर...
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द्विजेन्द्र "द्विज": ..काफिलों में जब कभी ग़द्दारियां रहने लगें
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द्विजेन्द्र "द्विज". साग़र साहेब. रेडियो सबरंग पर 'द्विज'. असिक्नी" साहित्यिक पत्रिका. असिक्नी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें. द्विज" का ग़ज़ल संग्रह. हिन्दी में लिखिए. विजेट आपके ब्लॉग पर. इन्हें भी पढ़ें. विनय पत्रिका' से बोधित्सव. चाय-घर' में बृजेश. अक्षर जब शब्द बनते हैं. अनुभुति. अनुराग का 'सबद'. अनूप सेठी. अरुण आदित्य 'अ-आ'. आलोक तोमर. आशीष ऑलरॉऊंडर. आशुतोष दुबे का 'मेरी दृष्टि'. इन्दौर का जनवादी लेखक संघ. उदय प्रकाश. कबाड़खाना. कुमार अंबुज. कृत्या. प्रत्यक्षा. प्रदीप की 'भोर'. मोहल्ला. कहां पह...क़&...