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दख़लअंदाज़ी : November 2016
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दख़लअंदाज़ी. अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ. Saturday, November 12, 2016. जुगनुओं के सवाल. पोस्ट अधूरी है। सवाल की तरह ही कभी इसके और हिस्से किश्तों में आते रहेंगे।). Labels: बदलती दुनिया. मन:स्थिति. मिरांडा हॉउस. शिक्षक होना. सवालों का होना. Subscribe to: Posts (Atom). जब मैं तुम हुआ करता था.…… अब भी मै तुम में ही हूँ।. View my complete profile. जुगनुओं के सवाल. चिट्ठियों के पते. ख़त मेरे. Hathkadh । हथकढ़. के तब तक हम न मिले तो? जानकीपुल.
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दख़लअंदाज़ी : December 2016
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दख़लअंदाज़ी. अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ. Friday, December 9, 2016. ये वक्त. किस तरफ जाने दिमाग सोचता है आजकल. चुपचाप मेरे बिस्तर पर पड़े -पड़े ऊँघना चाहता हूँ,. वो जो सामने लगी चे ग्वेरा की तस्वीर है न कमरे की. सोचता हूँ उसको उतारकर रख दूँ कही न दिखने वाली जगह पर,. कमरे के पंखे की धूल गर्मी आने पर हटा ही दूंगा गर्मी आने पर,. ये जो मोर्डन आर्ट सरीखी कविता बन रही है,. Labels: अकेलापन. चुप्पी. मन:स्थिति. मेरा कमरा. मेरा मन. Subscribe to: Posts (Atom).
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दख़लअंदाज़ी : March 2016
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दख़लअंदाज़ी. अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ. Tuesday, March 22, 2016. ट्रैन की सीढ़ियों पर बैठकर सफर करना,. चाँद से आगे ट्रैन निकल जाएगी ये सोचना ,. सिर्फ मैं इस तरह का स्वर हूँ ये सोचना ,. किसी शहर में ट्रैन का रुकना और धम्म से उतर जाना,. पटरियों पर भागने की कोशिश करना ,. किसी जगह सिगनल पास की उम्मीद और. वो गाँव निहारना जहाँ ट्रैन रुकी है ,. उस ओझा की आँखों का कोई जादू मंत्र ,. सब सुहावना था. संदीप विहान. Tuesday, March 1, 2016. Subscribe to: Posts (Atom).
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दख़लअंदाज़ी : October 2016
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दख़लअंदाज़ी. अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ. Sunday, October 16, 2016. शहर का दिया. हमनें शहरों को ट्यूबलाइट से भर लिया. वक़्त ने शहर से धीरे धीरेआसमां के तारे खोये,. शहरों ने हमारे दिन रात हम लोगों से छीने. तब से नींद में मिलते है एक-दूसरे से लोग,. शहर ने बिना धूल वाले कंक्रीट के रास्तें दिए. शायद ही हमें कोई पगडण्डी मिली हो शहर में,. शहरों ने जगह दी रहने को, हमें लोग दिए. फिर हम भूलने लग गए एक दूसरे को,. Subscribe to: Posts (Atom). ख़त मेरे. उसने द&...
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दख़लअंदाज़ी : June 2015
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दख़लअंदाज़ी. अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ. Tuesday, June 30, 2015. कुछ न होने सा होना. अथाह होना ,. या सिमट जाना ,. चिल्लाना ,. या चुप हो जाना ,. बेबाक होना ,. या बरबाद होना ,. मीठे होना ,. या हो जाना बेस्वाद ,. हँसना देखकर ,. या रोना एकेले ,. हरित सा,. या बंजर होना ,. मानव बनना,. और मृत्यु को प्राप्त कर लेना ………. Monday, June 22, 2015. उसका ख्याल. रोने से उसका अक्स अक्सर उभर आता है ,. लोग कहते है तुम कमजोर हो ,. Subscribe to: Posts (Atom). मन:स्थ...
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दख़लअंदाज़ी : October 2015
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दख़लअंदाज़ी. अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ. Sunday, October 25, 2015. तस्वीर पुरानी. ज़िंदा तस्वीरों सा हो गया हूँ मैं ,. विरले ही ढूंढ पाता हूँ मैं. लेकिन ये अनमनी सी अकुलाहट लिए कब तक फिरूंगा. याद रखना तस्वीर पुरानी हो जाती हैं ,बदलती नही. Subscribe to: Posts (Atom). जब मैं तुम हुआ करता था.…… अब भी मै तुम में ही हूँ।. View my complete profile. तस्वीर पुरानी. चिट्ठियों के पते. ख़त मेरे. Hathkadh । हथकढ़. के तब तक हम न मिले तो? जानकीपुल. मेरा मन.
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दख़लअंदाज़ी : June 2016
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दख़लअंदाज़ी. अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ. Sunday, June 26, 2016. माफीनामा बायीं तरफ दर्ज है. शायद जो भी लिखा है उसमे अपने में लौटने की तयारी है।डर दर्ज करना स्वयं के लिए एक डर है या साहस। पता नही ). Labels: अकेलापन. खालीस्थान. चुप इश्क़. मन:स्थिति. Wednesday, June 1, 2016. शहर में क्या होंगे हम तुम. चलों न साथ साथ चलते है इन सड़कों पर. इस शहर में एक दूसरे को ढूंढेगे. देखो शहर रोज बदल रहा है. संदीप 'विहान'. चुप इश्क़. मेरा मन. Subscribe to: Posts (Atom).
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दख़लअंदाज़ी : February 2016
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दख़लअंदाज़ी. अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ. Friday, February 5, 2016. लिख रहा हूँ. सीधा कहो! एक दोस्त को भी कहता हूँ एक ज़िंदगी मिली है उसमे कितने स्यापे है। और मैं और वो बस अपना ब्रह्म वाक्य कहते है :. देखते है क्या होता है।. Subscribe to: Posts (Atom). जब मैं तुम हुआ करता था.…… अब भी मै तुम में ही हूँ।. View my complete profile. लिख रहा हूँ. चिट्ठियों के पते. ख़त मेरे. Hathkadh । हथकढ़. के तब तक हम न मिले तो? बुखार के दिन. जानकीपुल. मेरा मन.
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दख़लअंदाज़ी : January 2016
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दख़लअंदाज़ी. अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ. Sunday, January 10, 2016. एक और पुरानी तरह का नया साल. Subscribe to: Posts (Atom). जब मैं तुम हुआ करता था.…… अब भी मै तुम में ही हूँ।. View my complete profile. एक और पुरानी तरह का नया साल. चिट्ठियों के पते. ख़त मेरे. Hathkadh । हथकढ़. के तब तक हम न मिले तो? बुखार के दिन. सपने में पिया पानी: कुछ कविताएं. जानकीपुल. संजय व्यास. भग्न स्तूप. लपूझन्ना. पंचायत चुनाव के रंग. करनी चापरकरन. चुप इश्क़. मेरा मन.
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दख़लअंदाज़ी : September 2016
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दख़लअंदाज़ी. अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ. Monday, September 26, 2016. सवाल पूछना है. कई दिनों से एक सवाल सामने रहता है। लेकिन इसको पूछा क्यों जाए? Subscribe to: Posts (Atom). जब मैं तुम हुआ करता था.…… अब भी मै तुम में ही हूँ।. View my complete profile. सवाल पूछना है. चिट्ठियों के पते. ख़त मेरे. Hathkadh । हथकढ़. के तब तक हम न मिले तो? बुखार के दिन. सपने में पिया पानी: कुछ कविताएं. जानकीपुल. संजय व्यास. भग्न स्तूप. लपूझन्ना. करनी चापरकरन.
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