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मानस की पीडा: January 2009
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मानस की पीडा. मेरी आवाज़. संजीवनी. चाँद पे होता घर जो मेरा. परियों की शहज़ादी. बाल-उद्यान. हिन्दयुग्म. संपर्क सूत्र. मंगलवार, 20 जनवरी 2009. मानस की पीडा -भाग5.उर्मिला- लक्षमण सम्वाद. मानस की पीडा. भाग5.उर्मिला- लक्षमण सम्वाद. लक्ष्मण-उर्मिला सम्वाद मे वन गमन पूर्व का चित्रण किया है. लक्ष्मण् - उर्मिला तब नव - विवाहित थे बहुत कठिन होता है. किसी के लिये भी ऐसे हालात मे रहना , लेकिन उर्मिला और. लखन रहे जिसके बारे मे हमने कभी सोचा ही नही. हर्षित था अब लक्ष्मण का मन. उनका बेटा बनकर रहना. कैसे ह...उसे...
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सञ्जीवनी: कृष्ण - सुदामा (खण्ड - २)
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सञ्जीवनी. भूमिका. 2कृष्ण-सुदामा. 3कृष्ण- गोपी प्रेम. प्रथम खण्ड-काव्य " ब्रजबाला" मे श्री-राधा-कृष्ण के अमर प्रेम और श्री राधा जी की पीडा को व्यक्त करने का,. दूसरे खण्ड-काव्य ". कृष्ण-सुदामा" मे श्री-कृष्ण और सुदामा की मैत्री मे सुखद मिलन. तथा तीसरे खण्ड-काव्य ". कृष्ण - गोपी प्रेम" में श्री कृष्ण और गोपियों के प्रेम के को समझने का. अति-लघु प्रयास किया है।. साहित्य-कुंज मे यह ई-पुस्तक प्रकाशित है. गुरुवार, 29 जनवरी 2009. कृष्ण - सुदामा (खण्ड - २). हर्षित है उसका मन ऐसे. जिससे मैं ...मैं क...क्य...
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मानस की पीडा: मानस की पीडा-भाग 3.दुविधा मे दशरथ
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मानस की पीडा. मेरी आवाज़. संजीवनी. चाँद पे होता घर जो मेरा. परियों की शहज़ादी. बाल-उद्यान. हिन्दयुग्म. संपर्क सूत्र. शुक्रवार, 9 जनवरी 2009. मानस की पीडा-भाग 3.दुविधा मे दशरथ. दुविधा मे दशरथ. सारे महलो मे कितने खुश. पाये जो थे सब अनुपम सुख. शिक्षा दीक्षा सब हुई पूरी. इच्छा नही रही थी अधूरी. चारो ही सुत थे ब्याहे गये. दशरथ के सपने पूरे हुए. कितनी प्यारी बहुएँ उनकी. भोली है कितनी ही मन की. गर्वित कितना राजा दशरथ. जिसके चारो ऐसे थे सुत. एक से बढकर गुणी एक. और सबमे ही था विवेक. और दशरथ का यह कहना. देख...
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मानस की पीडा: मानस की पीडा -भाग 7.भरत विलाप
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मानस की पीडा. मेरी आवाज़. संजीवनी. चाँद पे होता घर जो मेरा. परियों की शहज़ादी. बाल-उद्यान. हिन्दयुग्म. संपर्क सूत्र. सोमवार, 23 फ़रवरी 2009. मानस की पीडा -भाग 7.भरत विलाप. मानस की पीडा. भाग 7.भरत विलाप. श्री राम जय राम जय जय राम. मन मे केवल श्री राम का नाम. अब था भरत नाना क घर. पर हर क्षण बसा राम अन्दर. शत्रुघन भी था भरत के साथ. अब कर रहे थे आपस मे बात्. जाने क्यो व्यकुल हो रहा मन. वहाँ खुश हो भैया राम लखन. आँखो मे आँसु भी आ रहे. दोनो ही दुखित हुए जा रहे. पर समझ नही कुछ आ रही. जब विधाता भ...क्यो...
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मानस की पीडा: मानस की पीडा भाग 4.राम-लक्षमण सम्वाद
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मानस की पीडा. मेरी आवाज़. संजीवनी. चाँद पे होता घर जो मेरा. परियों की शहज़ादी. बाल-उद्यान. हिन्दयुग्म. संपर्क सूत्र. गुरुवार, 15 जनवरी 2009. मानस की पीडा भाग 4.राम-लक्षमण सम्वाद. भाग 4.राम-लक्षमण सम्वाद. जय गणपति जय सूर्यदेव. जय विशणु ब्र्ह्मा औ महेष. कर रहे पूजा आज उर्मि-लखन. खुश था महल का हर एक जन. आज होगा राम का रज्याभिषेक. वर्षो से देखा था सपना एक. माता-पिता का अरमान था. जब उनका आँगन वीरान था. सोचते थे उनका भी होगा सुत. सूर्यवन्श का सूर्य देखेगा अवध. आज वो दिन तो आ ही गया. पर यह क्या? फिर क्...
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मानस की पीडा: February 2009
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मानस की पीडा. मेरी आवाज़. संजीवनी. चाँद पे होता घर जो मेरा. परियों की शहज़ादी. बाल-उद्यान. हिन्दयुग्म. संपर्क सूत्र. सोमवार, 23 फ़रवरी 2009. मानस की पीडा -भाग 7.भरत विलाप. मानस की पीडा. भाग 7.भरत विलाप. श्री राम जय राम जय जय राम. मन मे केवल श्री राम का नाम. अब था भरत नाना क घर. पर हर क्षण बसा राम अन्दर. शत्रुघन भी था भरत के साथ. अब कर रहे थे आपस मे बात्. जाने क्यो व्यकुल हो रहा मन. वहाँ खुश हो भैया राम लखन. आँखो मे आँसु भी आ रहे. दोनो ही दुखित हुए जा रहे. पर समझ नही कुछ आ रही. जब विधाता भ...क्यो...
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मानस की पीडा: मानस की पीडा - भाग6.वन गमन
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मानस की पीडा. मेरी आवाज़. संजीवनी. चाँद पे होता घर जो मेरा. परियों की शहज़ादी. बाल-उद्यान. हिन्दयुग्म. संपर्क सूत्र. बुधवार, 4 फ़रवरी 2009. मानस की पीडा - भाग6.वन गमन. मानस की पीडा. भाग6.वन गमन. सिया राम के साथ लखन. तैयार है अब जाने को वन. होना था आज राज्याभिषेक. खुश भी था अवधवासी हर एक. पर हुई थी यह अनहोनी बात. छा गई थी जैसे काली रात. राजा नही बनेन्गे अब श्री राम. और छोड जाएँगे अवध धाम. हर अवधवासी था सोच रहा. नही किसी को कोई होश रहा. सबकी आँखे थी भरी हुई. सबके ही मन मे थी हलचल. अति उत्तम! और हम होन&...
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मानस की पीडा: March 2010
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मानस की पीडा. मेरी आवाज़. संजीवनी. चाँद पे होता घर जो मेरा. परियों की शहज़ादी. बाल-उद्यान. हिन्दयुग्म. संपर्क सूत्र. सोमवार, 22 मार्च 2010. मानस की पीड़ा - 8. शत्रुघ्न सन्ताप. गये वन को राम लखन सीता. और छोड़ गए है प्यारे पिता. यह देख दुखित है शत्रुघ्न. पीड़ा से भरा था उसका मन. सर रख के वह माँ की गोदी. और सुध-बुध सारी ही खो दी. आँखों से तो आँसू बहते. चिल्ला चिल्ला कर यूं कहते. भाई के बिन मैं न रहूंगा. दुख पिता का भी कैसे सहूंगा? नहीं यह सब मैं सह सकता माँ. जब वन जाने का वचन दिया. और खुशी से...नही...
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मानस की पीडा: मानस की पीडा -भाग5.उर्मिला- लक्षमण सम्वाद
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मानस की पीडा. मेरी आवाज़. संजीवनी. चाँद पे होता घर जो मेरा. परियों की शहज़ादी. बाल-उद्यान. हिन्दयुग्म. संपर्क सूत्र. मंगलवार, 20 जनवरी 2009. मानस की पीडा -भाग5.उर्मिला- लक्षमण सम्वाद. मानस की पीडा. भाग5.उर्मिला- लक्षमण सम्वाद. लक्ष्मण-उर्मिला सम्वाद मे वन गमन पूर्व का चित्रण किया है. लक्ष्मण् - उर्मिला तब नव - विवाहित थे बहुत कठिन होता है. किसी के लिये भी ऐसे हालात मे रहना , लेकिन उर्मिला और. लखन रहे जिसके बारे मे हमने कभी सोचा ही नही. हर्षित था अब लक्ष्मण का मन. उनका बेटा बनकर रहना. कैसे ह...उसे...
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सञ्जीवनी: उद्धो - कृष्ण संवाद
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सञ्जीवनी. भूमिका. 2कृष्ण-सुदामा. 3कृष्ण- गोपी प्रेम. प्रथम खण्ड-काव्य " ब्रजबाला" मे श्री-राधा-कृष्ण के अमर प्रेम और श्री राधा जी की पीडा को व्यक्त करने का,. दूसरे खण्ड-काव्य ". कृष्ण-सुदामा" मे श्री-कृष्ण और सुदामा की मैत्री मे सुखद मिलन. तथा तीसरे खण्ड-काव्य ". कृष्ण - गोपी प्रेम" में श्री कृष्ण और गोपियों के प्रेम के को समझने का. अति-लघु प्रयास किया है।. साहित्य-कुंज मे यह ई-पुस्तक प्रकाशित है. गुरुवार, 30 अप्रैल 2009. उद्धो - कृष्ण संवाद. गुम कृष्ण थे. और मन ही मन सोच रहा था. तब तुम थे ब&...पर अब नह&...