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साहित्य प्रसून

द्वारा संचालित. शुक्रवार, 14 नवंबर 2014. झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (vi) कुबेर-सुत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). दरिद्रता. निर्धनता की मार. कितना पीड़ित विश्व में. है आधा संसार. पुत्र कुबेरों के. कारूँ के कुछ लाल. जिनकी जेबों में भरा. बहुत मुफ़्त का माल. सीधे मद्य. पीते खाते डोलते. कुछ मरियल कुछ भीम. ले ढूँढते. फिरते नित्य शिकार. कितना पीड़ित. विश्व में. है आधा संसार. बड़े मनचले. चुलबुले. और बड़े उद्दण्ड. पैसे के बल. भोली...

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द्वारा संचालित. शुक्रवार, 14 नवंबर 2014. झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (vi) कुबेर-सुत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). दरिद्रता. निर्धनता की मार. कितना पीड़ित विश्व में. है आधा संसार. पुत्र कुबेरों के. कारूँ के कुछ लाल. जिनकी जेबों में भरा. बहुत मुफ़्त का माल. सीधे मद्य. पीते खाते डोलते. कुछ मरियल कुछ भीम. ले ढूँढते. फिरते नित्य शिकार. कितना पीड़ित. विश्व में. है आधा संसार. बड़े मनचले. चुलबुले. और बड़े उद्दण्ड. पैसे के बल. भोल&#2368...
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साहित्य प्रसून | sahityaprasoon.blogspot.com Reviews

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द्वारा संचालित. शुक्रवार, 14 नवंबर 2014. झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (vi) कुबेर-सुत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). दरिद्रता. निर्धनता की मार. कितना पीड़ित विश्व में. है आधा संसार. पुत्र कुबेरों के. कारूँ के कुछ लाल. जिनकी जेबों में भरा. बहुत मुफ़्त का माल. सीधे मद्य. पीते खाते डोलते. कुछ मरियल कुछ भीम. ले ढूँढते. फिरते नित्य शिकार. कितना पीड़ित. विश्व में. है आधा संसार. बड़े मनचले. चुलबुले. और बड़े उद्दण्ड. पैसे के बल. भोल&#2368...

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साहित्य प्रसून: 11/04/14

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द्वारा संचालित. मंगलवार, 4 नवंबर 2014. झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (ii) रूप-बाज़ार. सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार). चोरी से बिकता जहाँ. है आधा संसार. कमाने के लिये. लगा रूप. फुटपाथों पर रह रहे. कई लोग मज़बूर. रोटी-रोज़ी के लिये. भटके घर से दूर. पेट भरें वे किस तरह. भूख-सन्ताप. फँसे बेबसी में करें. घोर घिनौने पाप. बुझाने जठर. हैं कितने लाचार. कमाने के लिये. लगा रूप. क्या चीज़ है. घर की इज़्ज़त. का सामान. तरह से ये सभी. लगा रूप.

2

साहित्य प्रसून: 10/21/14

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द्वारा संचालित. मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014. धन्वन्तरी- कुबेर (धन-तेरस पर विशेष! सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार). रोग हरें, सब दुःख हरें, हे प्रभु देर-अबेर! कृपा करें सब पर अरे,. धन्वन्तरी- कुबेर! निर्धनता लक्ष्मी हरें, सुखी करें सम्पन्न! सारे लोग प्रसन्न हों, मत हों कहीं विपन्न! वैर-भाव सब त्याग दें, अपनायें सब प्रेम! अशुभ-अशिव हों दूर सब, होवे सब की क्षेम! प्रकाश उपजे प्रीति का, हो न घृणा-अन्धेर! कृपा करें सब पर अरे,. धन्वन्तरी- कुबेर! कृपा करें सब पर अरे,. धन्वन्तरी- कुबेर! नई पोस्ट. गज़ल कुञ्ज.

3

साहित्य प्रसून: 10/23/14

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द्वारा संचालित. गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014. साथ जलायें दीप! सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार). छोट-बड़े का भेद तज, हों सब आज समीप! भेद-भाव को त्याग कर, साथ जलायें दीप! दूर हुये जो रूठ कर, उन्हें मनायें आज! टूटन-टूटन में बंटा, जोड़ें सकल समाज! प्रेम-नगाड़े पर लगे, ऐसी प्यारी थाप! आवाजों पर खुलें दिल, हर कुण्ठा हो साफ़! एक साथ झूमें सभी, निर्धन या कि महीप! भेद-भाव को त्याग कर, साथ जलायें दीप! चलो बुहारें हर डगर, करें हर गली स्वच्छ! चमक-दमक से पूर्ण हो, हर घर का परिवेश! गैल=गलियारी). नई पोस्ट. गज़ल कुञ्ज.

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साहित्य प्रसून: 10/22/14

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द्वारा संचालित. बुधवार, 22 अक्तूबर 2014. नर्कासुर-वध कीजिये (नरका-चतुर्दशी-पर्व पर विशेष). सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार). रात मिटायें नर्क की, जगा स्वर्ग का भोर! नर्कासुर-वध कीजिये. सारी शक्ति बटोर! लक्ष्मी उलूक पर चढ़े, घर-घर जाए नित्य. ताकि स्वेच्छाचार से, करे न ओछे कृत्य. ब्रह्मा जागें, हरि जगें, जागें शिव हर देश! त्रिदेव सत्पथ पर चलें, धर मानव का वेश! ऐसा पनपे प्रेम-धन, चोर सके ना चोर! नर्कासुर-वध कीजिये, सारी शक्ति बटोर! अब सोये हैवानियत, सजग रहे इंसान! 1 टिप्पणियाँ. नई पोस्ट. गज़ल कुञ्ज.

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साहित्य प्रसून: झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन क&#

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द्वारा संचालित. शुक्रवार, 14 नवंबर 2014. झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (14) आधा संसार (नारी उत्पीडन के कारण) (क) वासाना-कारा (vi) कुबेर-सुत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). दरिद्रता. निर्धनता की मार. कितना पीड़ित विश्व में. है आधा संसार. पुत्र कुबेरों के. कारूँ के कुछ लाल. जिनकी जेबों में भरा. बहुत मुफ़्त का माल. सीधे मद्य. पीते खाते डोलते. कुछ मरियल कुछ भीम. ले ढूँढते. फिरते नित्य शिकार. कितना पीड़ित. विश्व में. है आधा संसार. बड़े मनचले. चुलबुले. और बड़े उद्दण्ड. पैसे के बल. राम हम&#2...

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प्रसून: जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें ! (‘शंख-नाद’ से)

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नयासन्देश. डैशबोर्ड. जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें! 8216;शंख-नाद’ से). 160;Friday, 14 November 2014 –  गीत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). चुपके-खुल कर अमन जलाते खिलता महका चमन जलाते. अशान्ति की जलती ज्वाला से- सुखद शान्ति का भवन जलाते. हिंसा के दुर्दम प्रयास से-. गांधी का सन्देश बचायें! चलो-चलो यह देश बचायें! भेद-भाव की राजनीति से जाति-धर्म की कूटनीति से. अलगावों के प्रचारकों से-. समता के परिवेश बचायें! चलो-चलो यह देश बचायें! 160;  . 2 टिप्पणियाँ. 160;  . 160;  . जून 2...

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प्रसून: जून-2013 के बाद के गीत/गज़लें (ब) गीत (3) कलेजा मुहँ को आता है ! (‘ठहरो मेरी बात सुनो !’ से)

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नयासन्देश. डैशबोर्ड. जून-2013 के बाद के गीत/गज़लें (ब) गीत (3) कलेजा मुहँ को आता है! 8216;ठहरो मेरी बात सुनो! 8217; से). 160;Wednesday, 12 November 2014 –  गीत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). देख घिनौने काम कलेजा मुहँ को आता है! पाप किये अविराम. कलेजा मुहँ को आता है! दिल में उनके कपट-छुरी है! नीयत उनकी बहुत बुरी है! हाँ जी केवल छल से उनके,. सम्बन्धों की डोर जुडी है! बगल में दुष्कर्मों की गठरी-. पूजा सुबहोशाम, कलेजा मुहँ को आता है! पाप किये अविराम. पाप किये अविराम,. 160;  . 160;  . 160;  . Http:/ blogsm...

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प्रसून: August 2014

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नयासन्देश. डैशबोर्ड. जून २०१३ के बाद की गज़लें (२) न कर. 160;Sunday, 31 August 2014 –  गज़ल. सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार). 8216;प्रेम-नगरिया’ में रहता है तू, नफ़रत की बात न कर! 8216;कपट-मैल’ से मैले, दिल के ये ‘उजले जज्वात न कर! हिम्मत कर तू सच कहने की, हमें खुदा ने ताक़त दी-. लड़ना है, दरवाज़े पर आ, पिछवाड़े से घात न कर! उल्लू नहीं, आदमी है तू, छोड़ ‘अँधेरा दौलत का’-. अच्छे भले उजाले वाले दिन को ‘काली रात’ न कर! 160; प्रस्तुतकर्ता देवदत्त प्रसून. 160;  . 160;  . 160;  . हो जायें द&#23...बेमौसम क&...पीछ...

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प्रसून: February 2013

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नयासन्देश. डैशबोर्ड. धूप का स्वाद! सूर्य ने हास बिखेरा! 160;Tuesday, 26 February 2013 –  प्रतीक-रूपक गीत. सारे चित्र गूगल खोज से उद्धृत). बहुत दिनों के बाद ‘सूर्य’ ने हास बिखेरा धरती पर. बहुत दिनों के बाद ‘धूप’ ने किया बसेरा धरती पर. भीषण सर्दी फैलाने में जब मानों ‘हेमन्त’ थका. 8216;अपने अनुज’ को देखा असफल, ‘शिशिर’ सहन कर नहीं सका. 8216;शीतलता के दैत्य’ बटोरे, करने उस की मदद चला-. जन को दुःख देने, सबको जन उस ने घेरा धरती पर. कई रोज़ तक. 8216;शिशिर’ ने. 8216;कोहरे. का आतंक’. मचाया था. निर्भय ह...बहु...

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प्रसून: जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत(19) पूजा करने चले (‘ठहरो मेरी बात सुनो !’ से)

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नयासन्देश. डैशबोर्ड. जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत(19) पूजा करने चले (‘ठहरो मेरी बात सुनो! 8217; से). 160;Tuesday, 4 November 2014 –  गीत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). पूजा करने चले बना के, ऊँची बड़ी इमारत! बिना प्यार के हो न सकेगी, सच्ची कभी इबादत! बजा के घंटी, चढ़ा मिठाई, भजन-कीर्त्तन करते! और कई तो रगड़ के माथा, हैं धरती पर झुकते! बिना ध्यान के, चंचल मन से, पाठ किया करते हैं! बिना आस्था-श्रद्धा-निष्ठा, पढ़ते कथा-तिलाबत! 160;  . 160;  . 160;  . Subscribe to: Post Comments (Atom). आज का समय. Http:/ blog...

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प्रसून: March 2013

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नयासन्देश. डैशबोर्ड. होली आई है! १) बजा के मधुरिम ढोल,होली आई है. 160;Tuesday, 26 March 2013 –  गीत(होली-गीत). बजा के मधुरिम ढोल, होली आई है. कर के प्रेम-किलोल, होली आई है. 8216;प्रेम’ में ‘निठुर विषाद’ न डालो. 8216;शान्ति’ में. अवसाद न डालो. वतन में ‘प्रान्त-वाद’ न डालो. 8216;फ़सल’ में ‘विष की खाद’ न डालो. जीवन है अनमोल, होली आई है. लगा के उस का मोल,. होली आई है. बजा के मधुरिम ढोल, होली आई है १. लोलुपता ‘यौवन’ पर धन की. कपटी और कुचाली-सनकी. नकाब डाले भोलेपन की. 160;  . 160;  . 160;  . आज का समय. प&#2367...

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प्रसून: जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत(20) अच्छे काम अकेला कर ! (‘शंख-नाद’ से)

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नयासन्देश. डैशबोर्ड. जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत(20) अच्छे काम अकेला कर! 8216;शंख-नाद’ से). 160;Saturday, 8 November 2014 –  गीत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). इस दुनिया में माना थोड़ा, सच का बहुमत कठिन बहुत. बढ़ा आत्मबल और भरोसा, अच्छे काम अकेला कर! सभी गुरुजनों से तूने यह जीवन जीना सीखा है. उनकी कृपा से जिन्दा रहने, का आ गया सलीका है! तुम पर जो उपकार किये हैं, उनको मत अनदेखा कर! बढ़ा आत्मबल और भरोसा, अच्छे काम अकेला कर! 160;  . 2 टिप्पणियाँ. 160;  . 160;  . 160;– (8 November 2014 at 04:06). जून...

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प्रसून: March 2014

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नयासन्देश. डैशबोर्ड. चुनाव की शंख-ध्वनि! आगामी लोक सभा के चुनावों के संधर्भ में विशेष) (१)सोच–समझ कर देना ‘वोट’! 160;Friday, 28 March 2014 –  गीत (पीयूषवर्षी गीत). मित्रों! आइये कुछ दिन चुनाव चर्चा हों जाये! कुछ रचानायें दूषित चुभती क्न्तीकी राजनीति पर रचनायें प्रस्तुत हैं! सारे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार). १)सोच–समझ कर देना ‘वोट’. 8216;असली-नक़ली’, ‘सच्चे-झूठे’ छाँट-फटक कर देना ‘वोट’! ओ भारत की ‘भोली जनता’! सोच-समझ’ कर देना ‘वोट’! ओ भारत की ‘भोली जनता’! 8216;छलिया’ ‘धर्म-महन&...ऐसे ‘नेत&...8216;उलूक...

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प्रसून: January 2013

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नयासन्देश. डैशबोर्ड. विवेकोर्मि (स्वामी विवेकानन्द पर आधारित एक अपूर्ण महाकाव्य ). 160;Wednesday, 30 January 2013 –  गीत(महिमागीत). विवेकानन्द-महिमा). चतुर्थ अन्विति). 8216;तसल्लियों के कोमल कर’ से, ’पीडाओं’ को सहलाने. हुये अनमने, आर्त्तजनों को, ढारस देकर बहलाने. 8216;गहन रहस्यों के सागर’ से ‘सुरस जीव्य रस’ भर लाने. 8216;उलझी उलझी हर गुत्थी’ को, ‘विवेचना’ से सुलझाने. 8216;नीरस मन जकी मरुस्थली’ में, आये बन ‘रस का निर्झर’-. 8216;कैसे बच कर निकलें’, सब को चिन&...8216;इंसानों’ क...8216;कामकेल&#23...8216;अग&#...

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Sunday, January 4, 2015. तिमीले हेरिरह्यौ. तिमीले के सोचि हेरिरह्यौ. म गइरहेँ. हवाइजहाजमा आँखा चिम्लदा. तिमी मै भइरहेँ. तिम्रो परेलीमा अडियो थोपा. आँखा भरिएर टिलपिल. फर्कि फर्कि हेर्न नसकि. अहिले रोएँ पिलपिल. तिमीले हाँसेर बिदा दिँदा. मायाले मलाई समाइरह्यौ. तिम्रो मनको घाउ मलाई. सुम्सुमाउन थमाइरह्यौ. फेरि फर्किन्छु चाँडै भनि. म गइरहेँ. सपना बटुल्दै विरानो देशमा. तिमी मै भइरहेँ. इन्जिनियर राकेश कार्की. दर्ता गर्ने :-. अम्बिका गिरी. Wednesday, July 9, 2014. दर्ता गर्ने :-. Thursday, October 31, 2013. श&#23...

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स ह त य स गठन. 812 स ह त यक र. स ह त यप ड य पर अपन रचन ए प रक श त करन क ल ए यह रज स टर कर -. अगर रज स टर कर च क ह त यह ल ग न कर -. January 14, 2017. हर ष त थ पर व र सबक थ क स क इ तज र क ई ब ट क ई भत ज त क ई प त क थ ब कर र क छ पल म ब आई ब र घरभर म ग ज क लक र लग [.]. January 14, 2017. एक ब र घट त ह आ व क स स फ र उसन श र मच य सबक जग य जग जग म [.]. January 14, 2017. र ग च न व र ग म , नय नय य स ल न त ज भ अब नय , ब छ रह ह [.]. January 14, 2017. हम र मन क समझत ह हम र ब ट कभ भ ज द नह करत ह हम र ब ट [.]. स गर य द...

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मुख्य पृष्ठ. रोमन-से-हिन्दी. काव्य रस. प्रेम रस. अध्यात्म रस. भक्ति रस. सम्पर्क सूत्र. Tuesday, August 11, 2015. पापी पेट के लिए. 160;       पापी पेट के लिए. वो अच्छा खासा इंजीनियर ,. अच्छी नौकरी,ढेर सी कमाई. उमर भी तीस के करीब होने आयी. घर के बूढ़े,बड़े ,माँ बाप और दादी. पीछे लगे है करवाने को शादी. पर उसने साफ़ कर दिया इंकार. बोला जिस दिन दिल की घंटी बजेगी ,. हो जाएगा ,शादी को तैयार. अच्छे खाने पीने का शौक़ीन. कामं में रहता है इतना तल्लीन. इतना है कमाता. इतनी दूर थे. पर गरम गरम पूड़ी,और ,. Links to this post.

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स ह त य प र त स हन स स थ न, मनक प र(उत तरप रद श) द व र प रक श त. जनवर 2015 अ क -17 वर ष -3. स स थ पक : ध रज श र व स तव. स प दक : कर म पठ न 'अनम ल'. प स तक सम क ष. रचन ए भ ज. नय समय, उड़न क ख व ह श और हम र त त र. Lsquo;स ह त य र ग न ’ क स ध प ठक क नय सपन क म ब रकब द.नय स कल प क म ब रकब द.नय उम म द क म ब रकब द.नय स ल क म ब रकब द जब ब त उड़न क ह त ह , त मन म स वत: उम ग उठन लगत ह . उड़ न क . कर म पठ न अनम ल. आरत र न प रज पत. सम र पर मल. मह श कट र स गम. आक श मह शप र. प ज प रज पत. ड स त शर म ’श त भ’. प स तक सम क ष.

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