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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में.
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ | sanjivgautam.blogspot.com Reviews
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कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में.
कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: July 2009
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. रविवार, जुलाई 26, 2009. इस समय मुझे अपने मित्र कमल किशोर भावुक का ये शेर याद आ रहा है आप भी देखें-. मुस्कराकर पंख नौचे क्या अदा सैय्याद की,. हो गयी संवेदना आहत न जाने हो गया क्या. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. रविवार, जुलाई 19, 2009. मित्रो. सदैव अपनों का- - - - - - -संजीव गौतम. कल आंगन में रात भर, रोया बूढा नीम. गर्म हवाएं इस तरफ, महानगर इस ओर. Posted by संजीव गौतम. Links to this post.
कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: कश्मीर में तीन दिन भाग-2
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. रविवार, अक्तूबर 25, 2009. कश्मीर में तीन दिन भाग-2. गतांक से आगे- -. Posted by संजीव गौतम. 8 टिप्पणियां:. ने कहा…. Shukriya achchha laga ab tak ka vivran, bas chitron ki hi kuch kami rah gayi. 25 अक्तूबर, 2009 10:18. ने कहा…. 25 अक्तूबर, 2009 11:02. गौतम राजरिशी. ने कहा…. जारी रखें. 25 अक्तूबर, 2009 17:13. ने कहा…. 25 अक्तूबर, 2009 18:25. श्रद्धा जैन. ने कहा…. Waah bahut hi sajeev chitran kiya hai.
कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: ग़ज़ल-12
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. रविवार, सितंबर 13, 2009. पूरे सात वर्ष अवसाद में रहने के पश्चात इस वर्ष इस ग़ज़ल से मेरे साहित्यकार. पहले से बेहतर हूं मैं. सन्डे है घर पर हूं मैं. दुनिया से वाबस्ता हूं,. आख़िरको शायर हूं मैं. बच्चे हैं तो मैं,. मैं हूं,. उनकी खातिर घर हूं मैं. दुनिया जिससे दुनिया है,. वो ढाई आखर हूं मैं. जैसा चाहे वैसा कर,. अब तेरे दर पर हूं मैं. Posted by संजीव गौतम. 26 टिप्पणियां:. विनय ‘नज़र’. ने कहा…. जब पहली ब...
कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: May 2009
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. शनिवार, मई 30, 2009. वही हालात हैं बदला हुआ कुछ भी नहीं है. वही चेहरे वही किस्से नया कुछ भी नहीं है. पुराने लोग हैं कुछ जो नज़र आते हैं वरना,. नयी तहज़ीब में तहज़ीब सा कुछ भी नहीं है. बहुत बेचैन होता हूँ मैं जब भी सोचता हूँ,. यहाँ इस मुल्क़ में अब मुल्क़ सा कुछ भी नहीं है. अगर सोचो तो बेशक दूरियाँ ही दूरियाँ हैं,. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. बुधवार, मई 13, 2009. Links to this post. मे...
कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: गणतंत्र दिवस, 2010
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. मंगलवार, फ़रवरी 02, 2010. गणतंत्र दिवस, 2010. Posted by संजीव गौतम. 13 टिप्पणियां:. श्याम कोरी 'उदय'. ने कहा…. प्रभावशाली प्रस्तुति! 02 फ़रवरी, 2010 22:47. ने कहा…. 02 फ़रवरी, 2010 23:52. अंकित "सफ़र". ने कहा…. एक ज्ञानवर्धक पोस्ट के लिए बधाई. 03 फ़रवरी, 2010 12:16. निर्मला कपिला. ने कहा…. 03 फ़रवरी, 2010 13:02. योगेश स्वप्न. ने कहा…. Bahut uttam jaankari, sanjeev ji dhanyawaad. 28 मार्च, 2...Interesti...
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कभी तो: मेरे प्रिय कवि
http://kabhi-to.blogspot.com/2010/09/blog-post.html
कभी तो. कभी तो दर्ज होगी जुर्म की तहरीर थानों में. कभी तो रोशनी होगी हमारे भी मकानों में. Sunday, September 5, 2010. मेरे प्रिय कवि. बहुत प्यासा है पानी. आज यहां प्रदीप जी के ग़ज़ल संग्रह, ‘. बहुत प्यासा है पानी. 8216; से चार ग़ज़लें सादर प्रकाशित हैं-. आप-हम दोनों जले लेकिन मियां।. आप सूरज हो गए हम भट्टियां।. ये सुरंगों का शहर इसमें भला,. कैसे रोशनदान कैसी खिड़कियां।. या तो चींटी हो गया है आदमी,. या हिमालय हो गईं हैं कुर्सियां।. कौन जाना चाहता है स्वर्ग तक,. ग़ज़ल-दो. ग़ज़ल-तीन. कहां बरस...मुह...
कभी तो: यूं ही
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कभी तो. कभी तो दर्ज होगी जुर्म की तहरीर थानों में. कभी तो रोशनी होगी हमारे भी मकानों में. Wednesday, November 3, 2010. यूं ही. सभी मित्रों/शुभचिंतकों को दीपपर्व की हार्दिक शुभकामनाएं. तो ठीक होकर फिर से आप सबसे जुड़ता हूं. संजीव गौतम. Thu Nov 04, 04:41:00 AM. चला बिहारी ब्लॉगर बनने. Thu Nov 04, 10:43:00 AM. आपको जल्द स्वास्थ्यलाभ हो! Tue Mar 29, 10:52:00 AM. Hope you are OK now, Im updating my blog now, please visit,. Vivek Jain vivj2000.blogspot.com. हल्ला बोल. Fri May 06, 08:53:00 PM. Thanks for showin...
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रोमांटिक रचनाएं: ग़ज़ल/तेरी नाराज़गी का क्या कहना
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रोमांटिक रचनाएं. प्रसन्न वदन चतुर्वेदी. Monday, June 8, 2009. ग़ज़ल/तेरी नाराज़गी का क्या कहना. तेरी नाराज़गी का क्या कहना ।. अपनी दीवानगी का क्या कहना ।. कट रही है तुझे मनाने में,. मेरी इस जिंदगी का क्या कहना ।. तेरी गलियों की खाक छान रहा,. मेरी आवारगी का क्या कहना ।. तेरी मुस्कान से भरी महफ़िल,. मेरी वीरानगी का क्या कहना ।. जान पर मेरे बन गई लेकिन,. तेरी इस दिल्लगी का क्या कहना ।. इतनी आसानी से मना करना,. तेरी इस सादगी का क्या कहना ।. बेचारगी का क्या कहना ।. June 10, 2009 at 8:22 AM. Apkee rchnayen vakai...
कभी तो: December 2012
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कभी तो. कभी तो दर्ज होगी जुर्म की तहरीर थानों में. कभी तो रोशनी होगी हमारे भी मकानों में. Friday, December 28, 2012. मेरे प्रिय रचनाकार-अशोक रावत. जो समझते हैं कि मेरी मुश्किलों का हल नहीं है. चेतना में उनकी शायद कोई नैतिक बल नहीं है. सब पता है राजपथ पर लोग क्यों चिल्ला रहे हैं. राजमहलों में तअज्जुब है कोई हलचल नहीं है. क्या हमे समझा रहे हैं ये सियासत के सिपाही. राजधानी है जी दिल्ली ये कोई जंगल नहीं है. एक भी तारा नहीं है एक भी बादल नहीं है. यहाँ दो वक़्त की रोट&...ये किसकी चाहत&#...नज़र के स...मगर एहस&#...
कभी तो: November 2010
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कभी तो. कभी तो दर्ज होगी जुर्म की तहरीर थानों में. कभी तो रोशनी होगी हमारे भी मकानों में. Wednesday, November 3, 2010. यूं ही. सभी मित्रों/शुभचिंतकों को दीपपर्व की हार्दिक शुभकामनाएं. तो ठीक होकर फिर से आप सबसे जुड़ता हूं. संजीव गौतम. Subscribe to: Posts (Atom). मेरा पुराना ब्लाग. कविता का नया मंच. शनिवार को नीरज गोस्वामी की गजलें. चिट्ठाजगत. चिट्ठाजगत सक्रियता कोड सं0. पसंद करें. अंतर्जाल पर अन्य रचनायें. आज की ग़ज़ल. नवगीत की पाठशाला. नवगीत की पाठशाला. ग़ज़ल के सफ़र में. आज की ग़ज़ल. घर के लोग. ९ बि...
कभी तो: September 2010
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कभी तो. कभी तो दर्ज होगी जुर्म की तहरीर थानों में. कभी तो रोशनी होगी हमारे भी मकानों में. Monday, September 27, 2010. मेरा आगरा-2. और अब मेहताब बाग से ताजमहल की कुछ तस्वीरें. संजीव गौतम. Labels: मेरा आगरा-2. Sunday, September 5, 2010. मेरे प्रिय कवि. बहुत प्यासा है पानी. आज यहां प्रदीप जी के ग़ज़ल संग्रह, ‘. बहुत प्यासा है पानी. 8216; से चार ग़ज़लें सादर प्रकाशित हैं-. आप-हम दोनों जले लेकिन मियां।. आप सूरज हो गए हम भट्टियां।. कौन जाना चाहता है स्वर्ग तक,. ग़ज़ल-दो. ग़ज़ल-तीन. मैं गहरी न...बहुत प...
कभी तो: हरजीत, मेरी ऩजर से
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कभी तो. कभी तो दर्ज होगी जुर्म की तहरीर थानों में. कभी तो रोशनी होगी हमारे भी मकानों में. Thursday, July 15, 2010. हरजीत, मेरी ऩजर से. अपने मन का रूझान क्या देखूं. लौटना है थकान क्या देखूं. आंख टूटी सड़क से हटती नहीं,. रास्ते के मकान क्या देखूं. मैंने देखा है उसको मरते हुए,. ये ख़बर ये बयान क्या देखूं. कहने वालों के होठ देख लिये,. सुनने वालों के कान क्या देखूं. इस तरफ से खड़ी चढ़ाई है,. उस तरफ से ढलान क्या देखूं. मैं धान बोऊं और वो पानी उतार दे. मेरी तरह ही ख़ुद को बदल...तू लफ़्ज हí...इस रूह क&...
कभी तो: मेरा आगरा-2
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कभी तो. कभी तो दर्ज होगी जुर्म की तहरीर थानों में. कभी तो रोशनी होगी हमारे भी मकानों में. Monday, September 27, 2010. मेरा आगरा-2. और अब मेहताब बाग से ताजमहल की कुछ तस्वीरें. संजीव गौतम. Labels: मेरा आगरा-2. Mon Sep 27, 09:25:00 AM. We will fight all kind of floods. शिवम् मिश्रा. Mon Sep 27, 11:50:00 AM. ताज का यह रूप कभी नहीं देखा था . इस बार तो सारे रिकॉर्ड टूट गए! Mon Sep 27, 06:26:00 PM. बिलकुल सही कह रहे हैं आप! लेकिन कुछ तो करना ही होगा! अच्छा आलेख! शिवम् मिश्रा. Mon Sep 27, 08:18:00 PM. आपकी...
कभी तो: August 2010
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कभी तो. कभी तो दर्ज होगी जुर्म की तहरीर थानों में. कभी तो रोशनी होगी हमारे भी मकानों में. Saturday, August 7, 2010. मेरे प्रिय रचनाकार-प्रताप दीक्षित जी. 34-ए, इंदिरा कालोनी,. शाहगंज, आगरा- 282010. जिन्दगी कहां पर ये हमें खींच लाई है।. एक ओर कुआं यहां एक ओर खाई है।. चुगलखोर मौसम का जोरों पर धन्धा है।. लालची भविष्य और वर्तमान अन्धा है।. दागदार चूनर को ओढ़े है चांदनी,. सूरज के अंग-अंग पिती उछर आयी है।. उलट फेर करनी औ कथनी के खातों में।. जिनके गीत बिना बैशाखी. उन पर क्या आश्चर्य. मारते हमने...जिस...
Taral-Tarangen: September 2010
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शुक्रवार, 24 सितंबर 2010. मित्रो,. अरसे बाद अपने ब्लॉग पर आ रहा हूँ. व्यक्तिगत स्तर पर. मुझे पखवाड़ा मनाने का सबसे आसान. तरीका यही लगा कि मैं अपने. ब्लॉग पर ही कुछ करूं। असल में कतिपय कारणों से मुझे अपने ब्लॉग का नाम और पास-वर्ड बदलना पड़ रहा है। ' गहराइयां'. का नया नाम है '. तरंगें. नाम बदला है तो कम से कम एक नई पोस्ट तो तुरंत पड़नी ही. लिखी कविता पर पूरी तरह लागू होता है लेकिन चूँकि एकाध. की ऊंचाई हो. तुम सागर का गहरा पानी. धन्य-धन्य ओ कविता रानी. बापू के. मन की चिन्ता- सी. बढ़ती हुई. नई पोस्ट. कभी...
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Monday, November 2, 2009. Http:/ en.wikipedia.org/wiki/Design Patterns (book). Wednesday, October 7, 2009. MSDTC Errors after cloning machine. Errors releated to MSDTC in event log or in some custom application. On browsing to dcomcnfg a red arrow appearing near my computer icon, and not able to expand COM applications. In Services.msc is 'Distributed Transaction Coordinator' is NOT running or is not present. MSDTC tab not visible, when you navigate to Component Services My Computers Properties MSDTC tab.
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. मंगलवार, फ़रवरी 02, 2010. गणतंत्र दिवस, 2010. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. मंगलवार, जनवरी 19, 2010. वसंत पंचमी है. हम कलमकारों के लिये सबसे बडा दिन. माता सरस्वती की पूजा और साथ ही. महाप्राण निराला का जन्म दिवस. सभी मित्रों और ब्लागर्स भाइयों को. वसंत पर्व की आत्मिक शुभकामनाओं के साथ. अपनी पूजा में ऍक गीत के साथ. लेकिन फिर भी. आ गया है नव वसंत. जिस तरफ उठे नजर. हर तरफ वसंत की. क्रमश: अ...
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Sanjiv Haribhakti | shades of a surgeon!
Shades of a surgeon! Dyspepsia, Irritable Bowel Syndrome (IBS). Dyspepsia means indigestion which manifests itself as bloating, abdominal distension or fullness especially after meals, which can also lead to decrease in appetite. This affects a large number of people around the world. What are the causes of dyspepsia? What are the symptoms of dyspepsia? How can dyspepsia be treated? How can functional dyspepsia be prevented? What is Irritable Bowel Syndrome (IBS)? What are the cause of IBS? The primary s...
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