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शब्दायन | शब्दों के प्रति अपने दाय के वहन का प्रयास

शब्दों के प्रति अपने दाय के वहन का प्रयास (by दीपक)

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शब्दों के प्रति अपने दाय के वहन का प्रयास (by दीपक)
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1 शब द यन
2 न यत
3 तयश द
4 न यत स
5 अच नक स
6 घटत ह
7 अनच ह
8 ज रह आदम
9 और वह
10 अगल ब र
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शब द यन,न यत,तयश द,न यत स,अच नक स,घटत ह,अनच ह,ज रह आदम,और वह,अगल ब र,शब द,जह कभ,शब द स,ब नत ह,अच छ ह,अर थ,बस इतन ह,शब द कह,एक जगह,उनक अर थ,द र कह,एक एक कर,कह नह थ,प त य,कव त समय,श न य,परम पर,तनह ईय,mehek,on शब द,laxmi chand meena,danil,अन भ त,सर जन,द पक
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शब्दायन | शब्दों के प्रति अपने दाय के वहन का प्रयास | shabdayan.wordpress.com Reviews

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शब्दों के प्रति अपने दाय के वहन का प्रयास (by दीपक)

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1

भाव | शब्दायन

https://shabdayan.wordpress.com/2006/03/25/भाव

म र च 25, 2006 at 5:55 प र व ह न ( कव त. मन क गहर ई,. और उस गहर ई म. समझ न प न क डर. छटपट त आह क लहर. म र च 25, 2006 at 5:20 अपर ह न. 8220;मन क गहर ई,. और उस गहर ई म. हम र स च क द त ऊ च ई ”. बह त उम द च त रण ह . म र च 26, 2006 at 11:33 प र व ह न. Tussi gr8 ho paaaji………. एक उत तर द जव ब रद द कर. Enter your comment here. Fill in your details below or click an icon to log in:. ईम ल (आवश यक). Address never made public). न म (आवश यक). You are commenting using your WordPress.com account. ( Log Out. कथ -प त र.

2

दीपक कुमार का ब्लॉग | शब्दायन

https://shabdayan.wordpress.com/2006/03/16/दीपक-कुमार-का-ब्लॉग

म र च 16, 2006 at 11:02 प र व ह न ( आरम भ. कव त त बस ज वन ह , हम सहल त , बहल त , प चक रत ………. कई ब त च ह कर भ ,हम कह नह प त ह. भ वन ओ क बह व म हम र शब द बह ज त ह. क छ लम ह ज नम हम स चत ज त ह. शब द क र प म उभरकर व व च र कव त य बन ज त ह. अप र ल 2, 2006 at 7:41 प र व ह न. Nice yar……. Teri kavitaon ke baare me tippanni karne ka arth surya ko deepak dikhane ke barabar hai…. अप र ल 2, 2006 at 7:14 अपर ह न. बह त अच छ , वर डप र स क अपन न पर बध ई इस न श च त र प स सर वश र ष ठ प ए ग 🙂. एक उत तर द जव ब रद द कर.

3

कविता | शब्दायन

https://shabdayan.wordpress.com/2006/03/17/कविता

म र च 17, 2006 at 9:49 प र व ह न ( कव त. ज हर ब र ख चत ह. और म भ बढ़त ज त ह. अनगढ शब द ल य. अन भ त क आरम भ स. अभ व यक त क स वरन तक. बत सकत ह क य? ज न कब मन म. और उक रन लगत ह. ज न क स च त रक र क तरह? ग जरत ह इस तरह. क क ई अक षर. उनक पव त रत क. ध य न रखत ह. बत ओग क य? बत ओ न कव त. म र च 19, 2006 at 1:54 अपर ह न. भ व बह त अच छ ह. तन ह ईय क अप क ष बह त अच छ कव त ह. प रश न क लत द खत ह. पन क त गलत ल ख ह. कव त व च र स नह बनत. शब द-अपव यय बह त ह. कव म सम भ वन बह त ह. म ल समस य उप य और अप य क स र प य क ह. कथ -प त र.

4

कथा-पात्र | शब्दायन

https://shabdayan.wordpress.com/2006/10/05/कथा-पात्र

कथ -प त र. अक ट बर 5, 2006 at 4:15 अपर ह न ( कव त. ज वन क भ ग-द ड स. थ ड समय न क ल कर. स स त न लग थ …. और म र स जक…. श यद गल य म भटक रह ह ग. ऐस क छ भ नह -. ज उस कथ क र क. यश द ल सक. म क ई ‘ईदग ह’ क. 8216;ह म द’ नह ,. ज सक च मट खर दन स. 8216;ग न ह क द वत ’ क. 8216;चन दर’ क भ त. ज प ठक क ख च सक एक गहर ई म. म र स जन श यद. रचन क र क आत म-स त ष ट क. क य क स ध -सप ट ज न दग भ. कह न क आध र ह सकत ह ,. पर म उसस भ सम बन ध नह रखत. म त अपन कह न क. स व दह न ह ह त म र कह न. कह न क पहल पन क त स. आन त म पन क त तक,. Deepa...

5

कविता-समय | शब्दायन

https://shabdayan.wordpress.com/2006/07/29/कविता-समय

ज ल ई 29, 2006 at 10:15 प र व ह न ( कव त. अन तर ज स समय ह त ह. जह कह भ ह त ह –. इतन स पष ट ह त ह. उक र सक उस. प स तक म? जतल प न भ. इस अन तर क. कव त क जन म क. ज ल ई 29, 2006 at 4:46 अपर ह न. बह त ख ब – जम रह. ज ल ई 30, 2006 at 2:41 प र व ह न. कह और अनकह क अ तर क स न क ल ज य ग? द न क म त रक अलग ह ग. ज ल ई 30, 2006 at 11:11 प र व ह न. कव त क जन म क क य ख ब व व चन क ह , आपन बध ई. ज ल ई 30, 2006 at 3:07 अपर ह न. कह और अनकह क अन तर स म र मतलब उनक गण त य अन तर स नह ह. ज ल ई 30, 2006 at 4:52 अपर ह न. न म (आवश यक).

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चिन्तन-कण: 12/01/2006 - 01/01/2007

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चिन्तन के कुछ कण जो हवा में बिखरे और फिर पन्नों पर रेंगने लगे. बुधवार, दिसंबर 20, 2006. विद्यार्थी जीवन के सुपरहिट संवाद. मैं आज आपके सामने विद्यार्थी जीवन के सुपरहिट संवादों को लेकर हाज़िर हूँ. संवाद काल, वातावरण और जगह के अनुसार बदल सकते हैं,.मगर मूल भावना कमोबेश यही होती है. आप भी आनन्द लिजिये. (एक मेल द्वारा प्रेरित). १ कक्षा में देर होने पर. कब चालू हुआ? अटेण्डेन्स हो गया क्या? कल रात देर तक गप्पे मारते रहे यार". अब पक्का कल से क्लॉस करूँगा.". २ क्लॉस के समय. ३ लैब में. अरे यार. ". ओए, सन्ज&#23...

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' सर्जना ': December 2012

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सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. माँ, याद तुम्हारी आती है।. Posted by दीपक । Deepak. On सोमवार, 17 दिसंबर 2012. इस कमरे का एकाकीपन. तन्हा है ये मेरा मन. इस अंधियारे में तेरी याद. यादों के दीप जलाती है,. माँ, याद तुम्हारी आती है।. पास के छत पर माँ कोई. गोद के मुन्ने में खोई,. कोमल थपकी दे-देकर. जब लोरी कोई सुनाती है,. माँ, याद तुम्हारी आती है।. जब गर्म तवा छू जाता है. हाथ मेरा जल जाता है. या तेज धार की छूरी से. ऊंगली ही कट जाते है,. Links to this post. Essay on 'Cow...

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' सर्जना ': कुछ ऐसा हुआ होगा

http://sarjanaonline.blogspot.com/2011/02/blog-post.html

सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. कुछ ऐसा हुआ होगा. Posted by rajesh ranjan. On गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011. जब उसने जाना कि. झाड़ियों के पीछे. अपनी-अपनी हड्डी चबाते. गोल-गोल घूम. अपनी पूँछ का पीछा करना ही ज़िन्दगी है. मेरी, तुम्हारी नजर में तब. एक दुःख उसे साल गया. दुःख कुछ ऐसा. जिसका साझा बनाना आसान नहीं होता. क्योंकि एक सिरफिरे को समझने के लिए समझ का न होना जरुरी है. कुछ ऐसा दुःख. जो जीने को लेकर है. जो हर उस चीज़ से है. सपने . . . और ऐसे में. नई पोस्ट. कवित&#23...

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' सर्जना ': October 2009

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सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. मेरा मैं. Posted by दीपक । Deepak. On शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009. मेरा मैं. है कहीं भीतर. खूब भीतर’. और परतें चढी जा रही हैं. चढ़ती जा रही हैं. दो बूँद खामोशी. सहेज रखी है मैंने. किसी बेशकीमती विरासत की तरह. जब आँखों को मूँदकर. छूता हूँ अपनी खामोशियों को. तो लगता है. कुछ मिल गया है खोया-सा. और परतों के भीतर. खूब भीतर. कुछ कहता है कुछ सुनता है. कहीं ज़िन्दा है. कहीं ज़िन्दा है. मेरा "मैं"।. राहुल कुमार. Links to this post.

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' सर्जना ': June 2009

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सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. Posted by दीपक । Deepak. On शुक्रवार, 19 जून 2009. राजन प्रकाश. सर्जना २४वें अंक से). Links to this post. Labels: लघुकथा. तेरी आँखों की तरह. Posted by दीपक । Deepak. On सोमवार, 15 जून 2009. बात उन दिनों की है. जब सड़क बन रही थी. कच्चे काले कोलतार की,. और तुमने कहा था -. देख बिल्कुल काली हैं न. तेरी आँखों की तरह।. कोलतार से उठ रहे धुएँ. के बीच. एक दार्शनिक की तरह . कहा था मैंने -. उस सुदूर देहात तक,. Links to this post. जिस&#23...

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यह खुशी की बात हैं | खुशी की बात

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स तम बर 29, 2006} यह ख श क ब त ह. श र आत अपन पर चय स करत ह . म र न म ख श ह , म फ करन ख श ब ह , पर सभ म झ प य र स ख श ब ल त ह . इसस पहल आपन म झ. हम र आव ज स न. पर स न ह . म लत स रत क ह . पर प छ ल द स ल स अहमद ब द म ह , अपन पढ ई क ल ए. म ई ट र यर ड ज यन ग क क र स कर रह ह . कल क द न बह त ब र थ . आज कह नह ज उ ग . घर ब ठन श यद म र ल ए ज य द अच छ ह . ट .व द ख कर ऐ ज य कर ग . Khushikibaat @ 1:25 अपर ह न [filed under इधर उधर क. Khusiji hindi chittha jagat mein swagat hai aapka……. स तम बर 29, 2006 at 2:42 अपर ह न.

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' सर्जना ': मेरा मैं

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सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. मेरा मैं. Posted by दीपक । Deepak. On शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009. मेरा मैं. है कहीं भीतर. खूब भीतर’. और परतें चढी जा रही हैं. चढ़ती जा रही हैं. दो बूँद खामोशी. सहेज रखी है मैंने. किसी बेशकीमती विरासत की तरह. जब आँखों को मूँदकर. छूता हूँ अपनी खामोशियों को. तो लगता है. कुछ मिल गया है खोया-सा. और परतों के भीतर. खूब भीतर. कुछ कहता है कुछ सुनता है. कहीं ज़िन्दा है. कहीं ज़िन्दा है. मेरा "मैं"।. राहुल कुमार. Labels: कविता.

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' सर्जना ': बोलते अक्षर

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सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. बोलते अक्षर. Posted by दीपक । Deepak. On शुक्रवार, 10 जुलाई 2009. जो क्षय नहीं होते. मानव की भांति. नहीं रोते. हो जाते हैं हृदय पर. पुकारते. हैं अपनी आवाज़ से. हाँ, अक्षर भी बोलते हैं. तुमने सुनी नहीं अब तक. शायद तुम पढ़ते-लिखते. रहे हो अक्षरों को,. जानते नहीं सच. बोलने वाले अक्षर. नए नहीं हैं. सदियों से वे सुना रहे हैं. दास्तान अपनी. शब्दों से भी बड़े हैं,. ये अक्षर जो जोड़ते हैं. कभी-कभी ज़िन्दगी. गाथाओं. को बुन. Essay on 'Cow' by...

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' सर्जना ': माँ, याद तुम्हारी आती है।

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सर्जना '. भारत की 'भारती' को समर्पित. अलख : विसंवाद - अष्टम की स्मारिका. माँ, याद तुम्हारी आती है।. Posted by दीपक । Deepak. On सोमवार, 17 दिसंबर 2012. इस कमरे का एकाकीपन. तन्हा है ये मेरा मन. इस अंधियारे में तेरी याद. यादों के दीप जलाती है,. माँ, याद तुम्हारी आती है।. पास के छत पर माँ कोई. गोद के मुन्ने में खोई,. कोमल थपकी दे-देकर. जब लोरी कोई सुनाती है,. माँ, याद तुम्हारी आती है।. जब गर्म तवा छू जाता है. हाथ मेरा जल जाता है. या तेज धार की छूरी से. ऊंगली ही कट जाते है,. नई पोस्ट. श्रेणी. सदस्य&#23...

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शब्दों का सफर

Friday, August 7, 2015. 2405;नावक और उसका तीर॥. ये सफर आपको कैसा लगा? पसंद आया हो तो यहां क्लिक. अभी और बाकी है। दिलचस्प विवरण पढ़ें आगे. प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर. 0 कमेंट्स. इस संदेश के लिए लिंक. 2404;।नाड़े के बहाने शब्द-विलास।।. ये सफर आपको कैसा लगा? पसंद आया हो तो यहां क्लिक. अभी और बाकी है। दिलचस्प विवरण पढ़ें आगे. प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर. 0 कमेंट्स. इस संदेश के लिए लिंक. 8221; या “मंगल पर पानी? ये सफर आपको कैसा लगा? पसंद आया हो तो यहां क्लिक. 0 कमेंट्स. 0 कमेंट्स. Wednesday, June 17, 2015.

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Sunday, July 26, 2015. द गोल्डफिंच. समजून घ्यायला! काय चाललंय आपल्या आजूबाजूला ते समजून घ्यायला (हा! 8217; किंवा मनू जोसेफ. किंवा फॅमिलीज अॅट होम. मग लॉर्ड ऑफ द रिंग्स. जंप इन टू फँटसी. आपल्यातल्या वेगाने बथ्थड होत जाणाऱ्या संवेदनेला काल्पनिक हाय. एस्केप रूट. पण मग फ्रोडो जातोच ग्रे हेवन्सना. आणि मीही लोकल ट्रेन्समध्ये परत. काहीतरी थिअरी? कमकुवत दुवा: लोकल ट्रेनमध्ये स्पार्टन आणि उंदीर वर्तन करणे. कि...आवश्यक सोल्युशन: वेळ काढणे. म्हणजे पुस्तक. कुठलं? द गोल्ड्फिंच. मग कोणाला तरी ए...मी माझ&#2...पे&...

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शब्दायन | शब्दों के प्रति अपने दाय के वहन का प्रयास

अक ट बर 9, 2011 at 2:40 अपर ह न ( कव त. पटर स उतर गय ह. ठ कर लगन स. मगर क छ समय ब द. आदम समझ ज त ह ,. सब बस ख ल ह. चल पड त ह प न:. भ चक क ह न तक. ट प पण कर. ज न 20, 2009 at 10:12 प र व ह न ( कव त. शब द क खण डहर. और अर थ स. सज त ह उस. नह कह सक ग. और त म स नत रह. बदल ज त ह. शब द वह रहत ह. ठहर ज त ह. Laquo; Older entries. कथ -प त र. प रश न-उत तर. ज स द न य पहल द खत थ. Deepak Kumar on द पक क म र क ब ल ग. Ram Tripathy on प त क ल ए. On प य र और व श व स. Soni on कव त. Atul Joshipura on प य र और व श व स.

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SHABDA YOGA

Lunes, 28 de noviembre de 2011. TALLER : MEDITACION SHABDA. DOMINGO de 16.30 a 20.30. Existen dos herramientas poderosas a tu disposición: las palabras y el ritmo. Un uso simple y consciente de estas tiene profundos efectos. Las palabras y los sonidos son hechos psicoactivos enraizados en el cuerpo y le dan raíz al sentido del ser. El ritmo aumenta nuestro sentido de balance, de control de nuestros movimientos y bienestar general. INTRODUCCION A LA MEDITACION SHABDA. Provee la "transmisión espiritual"&#4...

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शब्‍दों की कथा, शब्‍दों की व्‍यथा. Friday, September 28, 2007. मैं ख्वाब हूं. मैं ख्वाब हूं. मुझे पलने दो अपनी पलकों में. जरा सी देर को मैं भी सूकून पा जाउं. जरा सी देर की राहत, जरा सी मदहोशी. जरा सी देर की ठंडक, जरा सी बेहोशी. मैं ख्वाब हूं.मुझे जीने दो, दो घडी ही सही. अभी न अश्क बहाओ, न आंख खोलो तुम. रहो खमोश रहो लब से कुछ न बोलो तुम. सम्हालो जिस्म को अपने न थरथराए अब. मैं गिर पडूंगा.बिखर जाउंगा फिर कुछ ऐसे. तमाम उम्र समेटोगी तुम मेरे टुकडे. मैं ख्वाब हूं. Thursday, September 27, 2007. कई दिन ह&#...

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